SHIV CHALISA LYRICS FUNDAMENTALS EXPLAINED

shiv chalisa lyrics Fundamentals Explained

shiv chalisa lyrics Fundamentals Explained

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देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

शिवाष्टकस्तोत्र को सुबह- शाम किसी भी दिन पढ़ सकते है।

त्रिपुरासुरेण सह युद्धं प्रारब्धम् ।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।

स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ॥

अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥

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